रेल सेवा पूर्ती ✍️

 रेल सेवा पूर्ती 


जीवन की शूरवात 

जवानी की है ये बात 

हुई नोकरी शुरवात 

मिली रेल की साथ.


सेवा थी रेल विकास

 सहयोगी दिनरात 

सुख दुःख संग हाथ

करे सच्ची हर बात.


मिलते थे लाखो लोग

सेवा उनकी करने

तैनात सुरक्षा बल 

आंखे लगती ढुंढणे.


सदैव रही हलचल

चोर रहे हतबल 

देख हमारी नजर

दिल मे थी खलबल.


सेवा से हुई निवृत्ती 

घर मे जलती बत्ती

परिवार मे संगती

स्नेह मे मिले सोबती.


यादगार मेला आज

सजा दिलो भरा साज 

अंग अंग मे बसा है

अच्छे कर्मो का ये राज.


प्रदीप मनोहर पाटील

गणपूर.

मो. 9922239055

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